आर्थिक सहयोग कैसे और कहा से.......
महिलाओं को दिया जाने वाला आर्थिक सहयोग किसी दानदाता से प्राप्त सहयोग राशि से उनकी उपस्थिति में किसी उपयुक्त स्थान पर महिलाओं की संख्या तथा दान राशि को ध्यान में रखकर किया जाताा है । ये कार्यक्रम मंदिर,स्थानक,सूचना केन्द्र,गीता भवन,अथवा कार्यक्रमों के लिये आवंटित भवनों में किये जाते है । हमारा प्रयास रहता है कि किसी पवित्र स्थान पर अथवा संत-मुनिराजो के सानिध्य में यह कार्यक्रम हो,हम लोग अधिकांशत प्रत्येक महिला को माला भी देते है जिससे वे अपने इष्ट देव को भी याद करें । प्रारम्भ के कुछ वर्षों तक महिलाओं को पूर्णतः अनुादान दिया जाता था उसके बाद अब पिछले 20 वर्षो से 25 प्रतिशत छूट (सब्सिडी) तथा 75 प्रतिशत पुनः भरण के आधार पर 30-36 किश्तों में श्र रण वापिस लिया जाता है । पुर्नभरण इसलिये किया जाता है कि महिलाओं का स्वाभिमान बना रहे । वे दान नहीं रण ले रही है,ऐसा बच्चों तथा परिवारजनों के समक्ष उदाहरण रहे । हम महिलाओं को समझाते है कि बडे बडे उघोगपति भी बैंको से रण लेते है अतएव तुम्हें भी इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए । दूसरी बात यह है कि महिलायें काम करती है क्योकि रण चुकाना है। अन्यथा मुफ्त मिली वस्तु/सामग्री से रोजगार का विस्तार नहीं होगा और पुरूषार्थ की भावना भी कुठित होगी । पुनःभरण की राशि का उपयोग संस्था शिक्षा स्वास्थ्य आदि के लिये करती है ।
तत्पश्चात महिलाओं को अनुदान देने से पूर्व उन्हे सुचित किया जाता है फार्म भी भरे जाते हेै। आदरणीय डी.आर.मेहता साहब भी अधिकांशत एक दिन पूर्व पधारते और प्रत्येक महिला से उनका दुख दर्द जानते एवं उसकी पूर्ति हेतु वहा उपलब्ध दानदाताओं से अनुरोध करते तथा बीमारी हेतु विशेष योगदान आदि भी ।
हमारे अधिकांश कार्यक्रम चाहे बाडमेर हो या रामदेवरा,भीलवाडा,दिल्ली,या जोधपुर में हो । पद्मभूषण डी.आर.मेहता साहिब की उपस्थिति मे ही करवाने का प्रयास रहता है। वे जब महिलाओं से बात करते है तो लगता कि कोई भाई अपनी बहिन के दुख दर्द बांट रहा है। एक सीनियर अधिकारी या रिजर्व बैकं का डिप्टी गर्वनर या सेबी के चेयरमेन जैसा उच्च अधिकारी किस तरह जमीन से जुडकर काम कर रही बहिनों के दुख दर्द कैसे मिटा रहा है। हमें प्रेरणा लेनी चाहिए ऐसे गरीबों एवं विकलांगों के मसीहा को शत् शत् अभिनन्दन ।