ACTIVITIES

SMALL TRADE BUSSINESS !

विभिन्न कौशल का प्रशिक्षण........

महिलाये सिलाई करके अपना जीविकोपार्जन कर सकती हेै,यह जानकर हमने सिलाई प्रशिक्षण सेन्टर खोलने प्रारम्भ किये । ये केन्द्र शहर तथा आसपास के गॉवों में भी खोलकर तीन महीने का प्रशिक्षण प्रारम्भ किया । फिर छः माह का कोर्स प्रारम्भ कर दिया । इन महिलाओं में से जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीन,कशीदा एवं पीकू मशीन संस्था द्वारा उपलब्ध करवाई । इसी तरह खिलौना बनाने का प्रशिक्षण,आरी-तारी का प्रशिक्षण भी प्रारम्भ किया। जब संस्था को हाथीराम के ओडे के भवन का स्वामित्व मिल गया तब वहा स्थायी रूप से सिलाई,बैग बनाने,आरी-तारी तथा ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण प्रारम्भ कर दिया गया ।

लघु व्यवसायिक प्रशिक्षण........

गांवों की महिलाओं की उत्सुक्ता को देखते हुए गॉवों में अचार,जैम,जैली,ज्यूस बनाने और साबुन,चिप्स,खिचिया,पापड,सोडा बनाने का प्रशिक्षण दिया जाने लगा । उम्मेद नगर सूरसागर आदि गांवो की महिलाओं ने इसमें बहुत रूचि दिखाई । इससे घर बैठे उपयोगी चीजो को बनाने से कमाई होने लगी ।

महिला स्वयं सहायता समूहो का गठन........

स्वयं सहायता समूह योजना को क्रियान्वित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित दिल्ली की बैठक में सचिव महोदय को सम्मिलित होने का अवसर मिला। उन अनुभवों को संस्था में लागू कर नाबार्ड के सहयोग से 200 स्वयं सहायता समूह बनाने का कार्यक्रम लिया। 2010 तक 200 समूलो का गठन किया गया जिसमें से 160 स्वयं सहायता समूहों को बैक से राशि दिलाकर आत्म निर्भर बनाया गया । इसके साथ 2011-12 में 150 महिलाओं को रेडीमेड कपडों,थबुकडा में 30 महिलाओं को सिलाई में,गेलावास में 30 महिलाओं को आरी-तारी तथा सूरसागर में बन्धेज व सिलाई हेतु 30-30 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोडा गया ।

घरेलू उघोग योजना........

संस्था द्वारा जिला उघोग केन्द्र द्वारा आवंटित प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन 13 वर्षो से किया जा रहा है । 7 वर्ष तक तो ये कार्यक्रम पूरे वर्ष चलते थे,लेकिन पिछले 6 सालो से कभी दो और अब प्रति संस्था एक कार्यक्रम आवंटित किया जाता है । इस वर्ष 2015-16 में इसी कार्यक्रम के तहत जोधपुर केन्द्रीय जेल की महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण दिया जा रहा हेै। इसके पश्चात महिलाओं को प्रमाण पत्र भ वितरित किये जायेंगे ।

ग्राम उघमिता विकास कार्यक्रम........

नाबार्ड के सहयोग से संस्था द्वारा ब्यूटी पार्लर का 6 सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण दिया गया जिसमें दुल्हन मेकअप,मेहन्दी लगाना,बालो की कटिंग तथा विभिन्न प्रकार के फेशियल के बारे में सिखाया गया । बाजार की स्पर्धा में महिलाओं को अधिक आमदनी हो सके इसलिये यह विशेष प्रशिक्षण दिया गया । इस तर समय-समय पर अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाये जाते रहे है ।

स्वर्ण जयन्ती स्वरोजगार........

संस्था की इस योजना के तहत औसिया पंचायत समिति के बी.पी.एल परिवार के 12 समूहो का गठन किया गया,प्रत्येक समूह में 10-12 महिलाओं को जोडा गया । औसिया पंचायत समिति के उम्मेद नगर तथा मथानिया में इन समूहों द्वारा मिर्च मसाले तथा फेैंसी समान का उत्पादन कर बेचा जा रहा हे । सरकार से इन्हे 12 लाख की राशि दी गई जिसमे से 6 लाख की छूट मिल गई । महिला समूहों द्वारा तैयार माल पश्चिमी हस्तशिल्प उघोग मेले में भी स्टोल लगाकर,तथा दिल्ली,जयपुर मेले आदि में भी भाग लेकर अच्छी कमाई करते है ।

महिला मंडलों का सशक्तिकरण........

महिला मंडलों के सशक्तिकरण हेतु आई.ई.सी कार्यक्रम के तहत गांवों की बैठको का आयोजन किया जाता है जिसमें जननी सुरक्षा योजना,पालनहार योजना,विधवा पुत्री विवार योजना,गांवों में वर्षा जल संग्रहण,संरक्षण एवं महिला घरेलू हिंसा व लिंग भेद आदि पर विशेष जारकारी देकर महिला मंडलों को सशक्त बनाया जाता है जिसमें बच्चों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा सकें ।

प्रचार-प्रसार (आई.ई.सी) कार्यक्रम रिपोर्ट

गांवों में शुद्ध पेयजल वितरण कार्यक्रम.......

जल है तो जीवन है । इस कार्यक्रम के तहत जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिक विभाग के सहयोग से 4 दिसम्बर 2010 तक बालेसर ब्लॉक के 77 गांव तथा लूणी ब्लाक के 103 गांव कुल 180 गांवो में वृहत परियोजना के तहत आई.ई.सी कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य पानी के अपव्यय को रोकना,महिलाओं की सहभागिता को बढावा देना,गांव में जल प्रबन्ध उचित करना तथा व्यवस्था को मजबूत बनाना,जल शुल्क लागू करना और जन सहभागिता के सहयोग से स्वास्थ्य शिक्षा,स्वच्छता के प्रति लोगो को जागरूक करना है ।

इस कार्यक्रम के तहत ग्रामों में जल एवं स्वास्थ्य समितियों का गठन करना,ग्राम एवंज न स्वास्थ्य अभियान्त्रिक विभाग के बीच एग्रीमेन्ट कराना,गांवों की जनसंख्या का सर्वे करना,गांवो का नजरी नक्शा बनाना व गांवों में पानी की देखरेख के लिए केयरटेकर का चयन करना एवं उसको प्रशिक्षण देना ताकि पानी संबंधि समस्याओं को ग्राम स्तर पर सुधारा जा सकें ।

संस्था ने 2010 से 2015 तक जोधपुर के 180 गांव अजमेर के 112 गांव,सीकर के 36 गांव,जयपुर के 80 गांव,झालावाड के 44,कोटा के 20 गांव,और जैसलमेर के 106 गांवों में आई.ई.सी कार्यक्रम को फैला दिया । इस प्रकार 8 जिलों में कुल 704 गांवों में हम काम कर रहे है तथा कुछ गांवों में काम पूरे भी कर लिये हेै । इस कार्यक्रम के तहत संस्था गांवों में स्वास्थ्य सम्बन्धि कार्यक्रम भी कर रही है । गांवों में रात को चौपाल में जाकर नुक्कड नाटको के माध्यम से उनको स्वास्थ्य के बारे में समझाया भी जा रहा है ।

इसलिये गांव के लोग हमारे बुलाने पर दौड आते है उनको लगता है कि संस्था के सभी कर्मचारी निःस्वार्थ सेवा भावना से कार्य कर रहे है । ये कागजी कार्यवाही या दिखाने के लिये नहीं हमारा सहयोग करने आ रहे है ।