STORIES OF CHANGE

जेल की महिलाओं के उद्गार......!

एक अभिनव प्रयोग

केन्द्रीय महिला कारागृह में सिलाई प्रशिक्षण.......

संस्था न केवल अपने कार्यालय में ही प्रशिक्षण कार्यो का संचालन कर रही है वरन् आवश्यकता अनुसार गरीबों की बस्तियों में भी प्रशिक्षण चलाती है । जिला उघोग केन्द्र के सहयोग से भी प्रतिवर्ष 1 या 2 प्रशिक्षण चलाये जा रहे हेै । इस वर्ष यानि 2015-16 में संस्था को केन्द्रीय महिला जेल में भी महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण का सुअवसर मिला ।

केन्द्रीय महिला जेल अधिकारी ने हमारी सचित सुशीलाजी को जेल में ऐसे प्रशिक्षण के लिये निवेदन किया । विपश्चना साधना कराने के लिए वे 2015 में सप्ताह में एक बार जाती थी अतएव उनका परिचय उप जेल अधीक्षक श्रीमति सम्प्रति से हुआ। वे महिलाओं को कुछ हुनर सीखाना चाहती थी । वहा की व्यवस्था तथा सिलाई मशीनों की उपलब्धता को देखते हुए वहा पहला त्रिमासिक कोर्स संस्था ने अपनी ओर से चलाया उसके बाद जिला उघोग केन्द्र के सहयोग से दूसरा प्रशिक्षण चल रहा है । कैदी महिलाये बहुत रूचि से सिलाई सीख रही है जिससे जेल से मुक्त होने के बाद वे आत्म निर्भर बन सके ।

प्रमिला

मै जेल में आई तब से मानों मेरी जिन्दगी ठहर सी गई थी । उट पटांग सोचकर दिमाग खराब होता रहता था। खाली दिमाग शैतान का घर,कुछ भी न कर सकने का सोचकर अपना समय ऐसे ही बीता रही थी ।

इस संस्था ने जेल की महिलाओं के लिए सिलाई सेन्टर खोलकर हमारा जीवन संवार दिया । हमारे समय को बहुत उपयोगी बना दिया । आज हम सिलाई सीखकर स्वयं का कार्य भी कर सकते है ।

जब भी जेल से बाहर आउगी । मैं इस संस्थान का कार्य जगह-जगह बताउगी और कहूगी ये सम्बल संस्था समाज से ठुकराई हुए इन्सानों को अपना बनाती है,उनके जीवन में खुशहाली लाती है । इस संस्था का मैं बहुत बहुत धन्यवाद करती हॅॅॅू । मैने कभी सोचा भी नहीं था कि जेल की कोठरी में भी मुझे नई उर्जा मिलेगी ।

शकुन्तला

मै हमेशा जेल में बस यही सोचती थी कि मेरा जीवन अब किस काम का,बस जीने की कोई चाहत ही नहीं थी। लेकिन सम्बल संस्था ने तो मेरी किस्मत ही बदल दी । जेल में सिलाई सेन्टर खोला और हमें पढाई भी करवाई । हम महिलाओं को इस संस्था के माध्यम से बहुत कुछ सिखने का मौका मिला ।

मै तो इस संस्था के बारे मे यही कहना चाहॅूगी कि आपने तो हमें अपने गले लगाकर काम एवं पढाई सिखाकर हमारा जीवन सुधार दिया मेंरी सोच ही बदल दी है। मैं सम्बल संस्था की पूरी टीम को धन्यवाद देती हॅॅू ।

मन्जूबाई किन्नर

मन्जूबाई जेल के जीवन से बहुत निराश व हताश रहने लगी और मन से बहुत परेशान भी । मुझे सम्बल संस्था द्वारा सिलाई सीखने का अवसर मिला और पढने लिखने का अवसर भी दिया गया । मुझे बहुत अच्छा लगा। मैने भी सभी कुछ बहुत मन लगाकर सीखा और अब मेरा जेल में बहुत अच्छा समय निकल रहा है । क्योकि काम में व्यस्त रहने लगी । ये संस्था जेल की महिलाओं के लिए बहुत बहुत अच्छा कार्य कर रही है। हमारे जीवन को सुधार रही है इस संस्था की बहुत आभारी हॅू । इस अन्धकारपूर्ण जीवन में आशा की नई किरण का संचार हुआ है ।

कमला

मेरा जेल में समय काटे न कट रहा था और ये ही सोचती थी कि अब जीवन मै कुछ भी नहीं है। लेकिन सम्बल संस्था ने जेल में सिलाई सेन्टर खोलकर हम सबका जीवन सुधार दिया । जिन महिलाओं ने सिलाई सीखी वे जेल में ही काम करके महीने के 1500 रू तक कमा लेती है ।

मै जब गांव जाउगी तब वहा जाकर सिलाई करूगी अपना जीवन अच्छे से कार्य कर जीउगी और सभी को बताउगी कि सम्बल संस्था ने जेल की महिलाओं के जीवन सुधारने के बारे में साचकर और बहुत बडा कार्य किया । हम सबको सिलाई का प्रशिक्षण देकर । हमारे दुख दर्द की टीस को कम कर दिया । जीवन मकं एक नया विश्वास जगने लगा है । मै इस संस्था को कभी भूल नहीं पाउगी ।