सह सचिव की कलम से.....
बहुत ही सुखद व शुभ अवसर है कि सम्बल संस्थान न सेवा कार्य करते हुए 25 वर्ष पूर्ण कर लिये है यह संस्थान का रजत जयन्ती वर्ष है । काफी लम्बे समय से मैं इस संस्थान से जुडी हुई हूॅ इसलिये मेै अपने अनुभव आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हॅू ।
परमार्थ की भावना को लेकर इस सम्बल संस्था ने विधवाओ,अनाथो और क्लेश से पीडित महिलाओं का चायन कर उन्हें सम्बल प्रदान किया है । स्वास्थ्य एवं बढती हुई रोजी की समस्याओं को सुलझाले का प्रयास किया । बेसहारा महिलोओं को सहारा देकर उनको स्वावलम्बी बनाने का काम इस संस्था द्वारा किया जाता है कई महिलाए लाभान्वित हो चुकी है और उन्होने अनुभव किया है कि स्वावलम्बी मनुष्य कभी परतन्त्र नहीं होता,घर में भी उसका अस्तित्व बढ जाता है । अधिकांश ग्रामीण बहने दूसरो पर आश्रित रहती है,उन्हे कदम-कदम पर भयानक विपत्तियों का सामना करना पडता है,असफलताऐ और अभाव उनके जीवन को जर्जर बना देती है । उनका जीवन बोझ बनकर रह जाता है,आर्थिक संकट सदैव आते रहते है । उन बहनों को आत्म निर्भर बनाने का काम इस संस्था ने किया । इसका फल यह मिला कि उनका जीवन सुखमय होने लगा ।
अपने हाथो से किये गये श्रम से,पैसा प्राप्त करने से,आनन्द की अनुभूति होने लगती है । यहा में कहना चाहॅूगी कि स्वावलम्बी व्यक्ति अपना ही स्वार्थ नहीं साधता अपितु वह अपने परिवार व समाज का भी कल्याण करता है । क्योकि आत्मनिर्भरता स्वावलम्बियों की आराध्य देवी होती है,इससे संकोच समाप्त हो जाता है और आत्म विश्वास उत्पन्न होता है तथा उससे आत्म गौरव जागृत होता है । निश्चय ही आत्म निर्भर व्यक्ति कष्टों और बाधाओं को रोंदता हुआ आगे बढता रहता है । यह इस संस्थान की विशेष उपलब्धि है । हजारो ग्रामीण महिलाओं नेे सम्बल द्वारा दिये गये उपकरणों का लाभ उठाया है उनमें आत्म विश्वास की वृद्धि हुई है वे दूसरो को परामर्श भी देने लगी है । सफलता और समृद्धि की बाते भी करने लगी । यहा नियमित सिलाई केन्द्र व पार्लर की कक्षाएं चलती है । इस प्रशिक्षण का लाभ हजारों बहिनों ने लिया है अत तो आजीविका के लिये आय अर्जित करने लगी है । उनसे बातचीत करने पर वे बहुत खुश नजर आती है ।
जब भी सम्बल के स्वरोजगार सम्बन्धी कार्यक्रम होते है तब महिलाए अपने अनुभव सुनाती है कि वे क्या थी और क्या बन गई । बेसहारा बहिनों को अपनी जीविका चलाने का सहारा मिल गया,वे सभी सुशीलाजी को हृदय से धन्यवादद देती है,उनके अनुभवों से हम भी गद्-गद् हो जाते है । कोई सिलाई से,कोई बिजली चलित चक्की से,कोई कपडे की दुकान खोल कर धन अर्जित करती है कोई मनिहारी की दुकान यह सब सामन दान-दाताओं द्वारा उपलब्ध कराया जाता हेै ।
अंत में कहता चाहॅूगी कि सम्बल संस्थान के कार्य अनुकरणीय हेै । महिला उत्थान का कार्य इस संस्था द्वारा किया जाता है । यह संस्था बहनों को सद्भावपूर्ण निष्काम और परमार्थ मूलक कार्याे को करने के लिये अपनी मंजिल का आभास कराती हेै ।