अध्यक्ष की कलम से......
सूर्यनगरी के रूप् में विख्यात जोधपुर की यह पावन धरा जिसकी अपणायत विश्व प्रसिद्ध है । उस नगरी में हमारी बहिनों के लिए कुछ कर गुजरने की अभिलाषा ने सम्बल रूपी पौधे का निरूपण आदरणीय पद्मभूषण डी.आर.मेहता साहिब तथा सुशीला जी ने उस समय किया ।
जब महिलाऐ चार दीवारी से बाहर निकलने में हिचकिचाती थी,अपने अभाव को आह की ओट में निकाल कर सिमट जाती थी ।
सम्बल ने उनकी आह को वाह में बदलने का प्रयास आचार्य श्री हस्तीमल जी महाराजसा से आशीर्वाद लेकर धार्मिक स्थल के निकट 35 महिलाओं को स्वरोजगार देकर अर्पण किया जो 6000 महिलाओं तक पहुचाया गया है ।
इसके साथ ही महिलाओं से सम्बन्धीत स्वास्थ्य,शिक्षा,बाल विवाह,लडके-लडकी में भेदभाव आदि समस्याओं को दूर करने के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं विभागों से सहयोग भी प्राप्त किया ।
मै दूर मुम्बई में रहती हूॅ लेकिन दिल से मैं और मेरे पति संस्था के नजदीक है । प्रारम्भ में प्रस्तुति तक हमारे प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय डी.आर.मेहता साहिब तथा सुशीला जी बडी निष्ठा एवं सेवा भावना से इस सेवा में जुूडे हऐ है । वे दोनो ही बडे सरल,सहज,सौम्य,एवं संवेदनशील है इसलिये भामाशाहों दानदाताओं तथा सहकर्मियों के साथ मिलकर सम्बल को आकाश तक पहुचाने में कार्यो की पंखो से ’’उडान’’ भर रहे है ।